भारत में गरीबी: विकासशील भारत की सबसे बड़ी चुनौती

तोड़ देगी भारत को गरीबी एक दिन। गरीबी से जूझता भारत, गरीबी से टूटता भारत। भारत में गरीबी।

जब बात होती है विकासशील देशों की, तो उनकी स्थिति और आर्थिक चुनौतियाँ उन्हें दो हिस्सों में बाँट देती हैं: विकसित देश और विकासशील देश। आमतौर पर निम्न और मध्यम आय वाली अर्थव्यवस्थाएँ विकासशील देशों में आती हैं, जबकि उच्च आय वाली अर्थव्यवस्थाओं को विकसित देश कहा जाता है।

क्या गरीबी का खात्मा संभव है?

मेरे लिए, किसी भी देश को सतत विकास लक्ष्य (SDGs) की दिशा में कामयाब तब माना जा सकता है, जब वहाँ का हर नागरिक भरपेट खाना खा सके, रोजमर्रा की जरूरतों को आसानी से पूरा कर सके, और गरीबी या भूख के चक्रव्यूह से बाहर निकल सके।

आज, 2030 के सतत विकास लक्ष्यों (17 SDGs) में से पहला लक्ष्य है “शून्य गरीबी (Zero Poverty)”, और दूसरा है “शून्य भुखमरी (Zero Hunger)”। इन लक्ष्यों का मकसद है कि 2030 तक गरीबी और भूख को पूरी तरह खत्म किया जाए।

भारत में गरीबी की मौजूदा स्थिति

भारत, जिसे कभी “सोने की चिड़िया” कहा जाता था, आज गरीबी और भूख के कारण विकासशील देशों की श्रेणी में खड़ा है।

  • विश्व की दो तिहाई गरीब जनसंख्या केवल सात देशों में रहती है, जिसमें भारत भी शामिल है।
  • तेंदुलकर समिति के अनुसार, 2011 में भारत में लगभग 36% लोग गरीबी रेखा के नीचे थे।
  • नीति आयोग की 2021 की बहुआयामी गरीबी सूचकांक (MPI) के अनुसार, भारत के पाँच सबसे गरीब राज्य हैं:
    1. बिहार (51.91% जनसंख्या गरीब)
    2. झारखंड (42.16%)
    3. उत्तर प्रदेश (37.79%)
    4. मध्य प्रदेश (36.65%)
    5. मेघालय (32.67%)

राज्यों में गरीबी के मुख्य कारण

1. बिहार

बिहार की गरीबी के पीछे सबसे बड़ा कारण शिक्षा की कमी, जनसंख्या का बढ़ाव और भ्रष्टाचार है। यहाँ का आम आदमी आज भी मूलभूत जरूरतों के लिए तरसता है।

2. झारखंड

यह राज्य नक्सलवाद और भ्रष्टाचार की समस्या से जूझ रहा है। झारखंड में रहने वाले आदिवासी समुदाय और दैनिक मजदूर गरीबी का सबसे ज्यादा प्रभाव झेलते हैं।

3. उत्तर प्रदेश

भारत की सबसे बड़ी जनसंख्या वाले राज्य में बढ़ती जनसंख्या, बेरोजगारी और शिक्षा की कमी गरीबी को बढ़ावा दे रही है।

4. मध्य प्रदेश

यहाँ का जिला अलीराजपुर, जहाँ कुल 76% गरीब जनसंख्या रहती है, गरीबी के मामले में राज्य को चौथे स्थान पर लाता है।

5. मेघालय

यहाँ का वातावरण मजदूरों को पूरे दिन काम करने की अनुमति नहीं देता। दिहाड़ी मजदूर यहाँ केवल 5-6 घंटे ही काम कर पाते हैं।

सतत विकास लक्ष्यों (SDGs) के तहत शून्य गरीबी का लक्ष्य

2030 के सतत विकास लक्ष्य (SDGs) के तहत, भारत ने गरीबी और भूख को खत्म करने का संकल्प लिया है।

  • शून्य गरीबी (SDG 1) का उद्देश्य है कि हर नागरिक को सामाजिक सुरक्षा मिले और गरीबी रेखा से बाहर लाया जाए।
  • शून्य भुखमरी (SDG 2) के तहत, भोजन की सुरक्षा और पोषण सुनिश्चित किया जाए।
  • ये दोनों लक्ष्य सतत विकास (Sustainable Development) की नींव माने जाते हैं।

सवाल उठता है: क्या हम 2030 तक इस लक्ष्य को प्राप्त कर सकते हैं?

नीति आयोग की रिपोर्ट्स और आँकड़े हमें सोचने पर मजबूर कर देते हैं कि क्या वाकई हम 2030 तक शून्य गरीबी का सपना साकार कर पाएंगे। जब तक शिक्षा, रोजगार, और आर्थिक असमानता जैसी समस्याओं को हल नहीं किया जाता, तब तक शून्य गरीबी और शून्य भूख जैसे लक्ष्य केवल कागजों तक ही सीमित रह सकते हैं।

गरीबी को खत्म करने का समाधान

1. शिक्षा और रोजगार के अवसर:

हर गरीब व्यक्ति को शिक्षा और रोजगार के साधन उपलब्ध कराना सबसे पहला कदम होना चाहिए।

  • स्कूल इंफ्रास्ट्रक्चर सुधारें।
  • वोकेशनल ट्रेनिंग और स्किल डेवलपमेंट प्रोग्राम लागू करें।

2. भोजन की उपलब्धता:

सरकार और संगठनों को पोषण सुरक्षा अभियान चलाना चाहिए।

  • मिड-डे मील प्रोग्राम को और सशक्त करें।
  • स्थायी कृषि (Sustainable Agriculture) को बढ़ावा दें।

3. CSR (Corporate Social Responsibility) का उपयोग:

कॉरपोरेट्स को गरीबी उन्मूलन के अभियानों में भागीदार बनाया जाए।

निष्कर्ष: क्या भारत गरीबी से मुक्त हो सकता है?

भारत के पास संसाधन और क्षमता दोनों हैं। लेकिन जब तक हम सतत विकास लक्ष्यों (SDGs) की दिशा में ईमानदारी से काम नहीं करेंगे, तब तक “शून्य गरीबी” और “शून्य भूख” केवल एक सपना ही रहेगा।

गरीबी न केवल एक सामाजिक समस्या है, बल्कि यह एक ऐसी चुनौती है जो भारत के विकास को रोकती है। हमें मिलकर इसे जड़ से खत्म करना होगा। सतत विकास लक्ष्य (SDG 1 और SDG 2) की ओर कदम बढ़ाते हुए, 2030 तक गरीबी और भूख को समाप्त करना ही भारत के लिए सबसे बड़ा लक्ष्य होना चाहिए।

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